
आयोजन
जुलाई 2, 2025
लीग ऑफ़ पार्लियामेंटेरियन्स फ़ॉर अल-क़ुद्स एंड फ़िलिस्तीन ने जकार्ता सम्मेलन में भागीदारी पूरी की
लीग ऑफ़ पार्लियामेंटेरियन्स फ़ॉर अल-क़ुद्स एंड फ़िलिस्तीन ने इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) के सदस्य देशों की संसदीय यूनियन के 19वें सम्मेलन में अपनी भागीदारी पूरी कर ली है. यह सम्मेलन 12 से 15 मई 2025 के बीच इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आयोजित हुआ.
इस प्रतिनिधिमंडल में लीग के अध्यक्ष श्री हमीद बिन अब्दुल्लाह अल-अहमर, महासचिव डॉ. मोहम्मद मकरम बलावी, कार्यकारी समिति के सदस्य और सांसद सैयद इब्राहीम सैयद नुह, और लीग के सलाहकार बशीर जारल्लाह शामिल थे.
लीग ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति श्री प्रबावो सुबियांतो, इंडोनेशियाई संसद की स्पीकर सुश्री पुआन महारानी, और अंतर-संसदीय सहयोग समिति के अध्यक्ष और सांसद श्री मरदानी अली सेरा का इस महत्वपूर्ण सम्मेलन की मेज़बानी और आयोजन के लिए दिल से धन्यवाद और सराहना की. लीग ने फ़िलिस्तीन के समर्थन में इंडोनेशिया की ऐतिहासिक भूमिका — चाहे सरकार हो या जनता — की भी प्रशंसा की.
सम्मेलन के अंत में जारी एक प्रेस बयान में लीग ने इस संसदीय आयोजन की अहमियत को रेखांकित किया, जो इस्लामी देशों के सांसदों को एकजुट करता है, ताकि उम्मा (इस्लामी समुदाय) के न्यायपूर्ण मुद्दों, विशेषकर फ़िलिस्तीन के समर्थन में साझा प्रयास किए जा सकें. लीग ने सदस्य देशों के बीच संसदीय सहयोग को और मज़बूत करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया, ताकि फ़िलिस्तीनी जनता और उनके इसराइली क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ संघर्ष को समर्थन मिल सके. साथ ही लीग ने ग़ज़ा पट्टी में इसराइल द्वारा की जा रही हिंसा, तबाही और घेराबंदी की कड़ी निंदा की.
लीग ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह अपनी क़ानूनी और मानवीय ज़िम्मेदारियों को निभाए. उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि एक इस्लामी संसदीय प्रतिनिधिमंडल बनाया जाए जो अमेरिकी कांग्रेस और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का दौरा करे, ताकि इस्लामी देशों की आवाज़ वहां पहुंचाई जा सके और ग़ज़ा पर जारी हमले और घेराबंदी को तुरंत समाप्त करने की मांग की जा सके.
लीग ने ग़ज़ा में हो रहे युद्ध अपराधों को दस्तावेज़ करने और दोषियों को अंतरराष्ट्रीय अदालतों में सज़ा दिलाने की अहमियत पर भी ज़ोर दिया. इसके साथ ही, लीग ने मानवीय और चिकित्सकीय मदद को मज़बूत करने की बात कही ताकि फ़िलिस्तीनी जनता के संघर्ष को समर्थन मिल सके.
अंत में, लीग ने फ़िलिस्तीनी जनता के अधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराई और यह संकल्प लिया कि जब तक फ़िलिस्तीनी लोगों को उनका पूरा वाजिब हक़ — आज़ादी और संप्रभुता — नहीं मिल जाता, तब तक उनकी कोशिशें जारी रहेंगी.

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